सभी से मैंने विदा ले ली
सभी से मैं ने विदा ले ली: घर से, नदी के हरे कूल से, इठलाती पगडंडी से पीले वसंत के फूलों से पुल के नीचे खेलती डाल की छायाओं के जाल से। सब से मैं ने विदा ले ली: एक उसी के सामने मुँह खोला भी, पर बोल नहीं निकले।

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