बहुत दिनों से
मैं बहुत दिनों से बहुत दिनों से बहुत-बहुत सी बातें तुमसे चाह रहा था कहना और कि साथ यों साथ-साथ फिर बहना बहना बहना मेघों की आवाज़ों से कुहरे की भाषाओं से रंगों के उद्भासों से ज्यों नभ का कोना-कोना है बोल रहा धरती से जी खोल रहा धरती से त्यों चाह रहा कहना उपमा संकेतों से रूपक से, मौन प्रतीकों से मैं बहुत दिनों से बहुत-बहुत-सी बातें तुमसे चाह रहा था कहना! जैसे मैदानों को आसमान, कुहरे की मेघों की भाषा त्याग बिचारा आसमान कुछ रूप बदलकर रंग बदलकर कहे।

Read Next