शक्ति का उत्पात
क्रांति है आवर्त, होगी भूल उसको मानना धारा: विप्लव निज में नहीं उद्दिष्ट हो सकता हमारा। जो नहीं उपयोज्य, वह गति शक्ति का उत्पात भर है: स्वर्ग की हो-माँगती भागीरथी भी है किनारा।

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