तुम्हारी पलकों का कँपना
तुम्हारी पलकों का कँपना । तनिक-सा चमक खुलना, फिर झँपना । तुम्हारी पलकों का कँपना । मानो दीखा तुम्हें किसी कली के खिलने का सपना । तुम्हारी पलकों का कँपना । सपने की एक किरण मुझको दो ना, है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना, और सब समय पराया है बस उतना क्षण अपना । तुम्हारी पलकों का कँपना ।

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