शोषक भैया
डरो मत शोषक भैया : पी लो मेरा रक्त ताज़ा है, मीठा है हृद्य है पी लो शोषक भैया : डरो मत। शायद तुम्हें पचे नहीं-- अपना मेदा तुम देखो, मेरा क्या दोष है। मेरा रक्त मीठा तो है, पर पतला या हल्का भी हो इसका ज़िम्मा तो मैं नहीं ले सकता, शोषक भैया? जैसे कि सागर की लहर सुन्दर हो, यह तो ठीक, पर यह आश्वासन तो नहीं दे सकती कि किनारे को लील नहीं लेगी डरो मत शोषक भैय : मेरा रक्त ताज़ा है, मेरी लहर भी ताज़ा और शक्तिशाली है। ताज़ा, जैसी भट्ठी में ढलते गए इस्पात की धार, शक्तिशाली, जैसे तिसूल : और पानीदार। पी लो, शोषक भैया : डरो मत। मुझ से क्या डरना? वह मैं नहीं, वह तो तुम्हारा-मेरा सम्बन्ध है जो तुम्हारा काल है शोषक भैया!

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