फ़िराके-गुजरात
गुजरात के फिराके सों है खा़र-खा़र दिल बेताब है सूनेमन आतिलबहार दिल मरहम नहीं है इसके जखम़का जहाँमने शम्शेरे-हिज्र सों जो हुआ है फिगा़र दिल अव्वल सों था ज़ईफ़ यह पाबस्ता सोज़ में ज्यों बात है अग्निके उपर बेकरार दिल इस सैरके नशे सों अवल तर दिमाग था आखिऱकुँ इस फिराक़ में खींचा खुमार दिल मेरे सुनेमें आके चमन देख इश्क का है जोशे-खँ सों तनमें मेरे लालाजार दिल हासिल किया हूँ जगमें सराया शिकस्तगो देखा है मुझ शकीबे हों सुब्हेबहार दिल हिजरत सों दोस्ताँके हुआ जी मेरा गुजर इश्रत के पैरहन कुँ दिया तार-तार दिल हर आशना की याद की गर्मीसों तनमने हरदममें बेक़रार है मिस्ले-शरार दिल सब आशिक़ाँ हजूर अछे पाक सुर्खऱू अपना अपस लहूसों किया है फ़िगार दिल हासिल हुआ है मुजकूँ समर मुज शिकस्त सों पाया है चाक-चाक़ हो शकले-अनार दिल अफसोस है तमाम कि आखिऱकुँ दोस्ताँ इस मैक़दे सों उसके चला सुध बिसार दिल लेकिन हजार शुक्र वली हक़के फैज़ सों फिर उसके देखनेका है उम्मेदवार दिल

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