अलाव
माघ : कोहरे में अंगार की सुलगन अलाव के ताव के घेरे के पार सियार की आँखों में जलन सन्नाटे में जब-तब चिनगी की चटकन सब मुझे याद है : मैं थकता हूँ पर चुकती नहीं मेरे भीतर की भटकन !

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