गुज़र है तुझ तरफ़ हर बुलहवस का
गुज़र है तुझ तरफ़ हर बुलहवस का हुआ धावा मिठाई पर मगस का अपस घर में रक़ीबां को न दे बार चमन में काम क्‍या है ख़ार-ओ-ख़स का निगह सूँ तेरी डरते हैं नज़र बाज़ सदा है ख़ौफ़ द़ज्‍दूँ को असस का बजुज़ रंगीं अदा दूजे सूँ मत मिल अगर मुश्‍ताक़ है तू रंग-ओ-रस का 'वली' को टुक दिखा सूरत अपस की खड़ा है मुंतजिऱ तेरे दरस का

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