सजन में है शुआर-ए-आशनाई
सजन में है शुआर-ए-आशनाई न हो क्‍यूँ दिल शिकार-ए-आशनाई सनम तेरी मुरव्‍वत पे नज़र कर हुआ हूँ बेक़रार-ए-आशनाई निपट दुश्‍वार था मुझ दिल में ऐ जाँ ज़मान-ए-इंतिज़ार-ए-आशनाई हुआ मालूम तुझ मिलने सूँ लालन कि रंगीं है बहार-ए-आशनाई हया के आब सूँ बाग़-ए-वफ़ा में रवाँ है जू-ए-बार-ए-आशनाई वफ़ा दुश्‍मन न हो ऐ आशनारू वफ़ा पर है मदार-ए-आशनाई मुरव्‍वत के हमेशा हाथ में है इनान-ए-इख्ति़यार-ए-आशनाई मदारा है हिसार-ए-आशनाई 'वली' इस वास्‍ते गिर्यां हूँ हर आन कि तर हो सब्‍ज़ाज़ार-ए-आशनाई

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