तुझ मुख का रंग देख कँवल जल में जल गए
तुझ मुख का रंग देख कँवल जल में जल गए तेरी निगाह-ए-गर्म सूँ गुल गल पिघल गए हर इक कूँ काँ है ताब जो देखे तेरी निगाह शेराँ तेरी निगाह की दहशत सूँ टल गए साफ़ी तेरे जमाल की काँ लग बयाँ करूँ जिस पर क़दम निगाह के अक्‍सर फिसल गए मरने से पहले जो कि मेरे इस जगत मिनीं तस्‍वीर की निमत वो ख़ुदी सूँ निकल गए पायें जो कोई लज़्ज़त-ए-दीं जग में ऐ 'वली' दुनिया में हाथ अपने वो हसरत सूँ मल गए

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