शुक्र वो जान गई, फिर आई
शुक्र वो जान गई, फिर आई ऐश की आन गई, फिर आई तेरे आने सिती ऐ राहत-ए-जाँ शहर की जान गई, फिर आई फिर के आना तिरा है बाइस-ए-शौक़ जिस तरह तान गई, फिर आई तेरे आने सिती ऐ माया-ए-हुस्‍न ऐश की शान गई, फिर आई ऐ 'वली' क़ंद-ए-मुकर्रर है ये बात शुक्र वो जान गई, फिर आई

Read Next