गरचे तन्नाशज़ यार-ए-जानी है
गरचे तन्‍नाज़ यार-ए-जानी है माया-ए-ऐश-ए-जाविदानी है याद करती है ख़त कूँ ज़ुल्‍फ़-ए-सनम काम हिंदू का बेदबानी है तुझ सूँ हरगिज़ जुदा न हूँ मिरी जाँ जब तलक मुझमें ज़िदगानी है आशना नौनिहाल सूँ होना समरा-ए-गुलशन-ए-जवानी है दिल में आया है जब सूँ सर्व-ए-रवाँ तब सूँ मुझ शे'र में रवानी है ऐ सिकंदर न ढूँढ आब-ए-हयात चश्‍मा-ए-ख़िज्र ख़ुशबयानी है वक़्त मरने के बोलता है पतंग कि मुहब्‍बत रफ़ीक़-ए-जानी है गरचे पाबंद-ए-लफ़्ज़ हूँ लेकिन दिल मिरा आशिक़ी-ए-मा'नी है ऐ 'वली' फि़क्र-ए-साफ़-ए-साहब-ए-दिल गोहर-ए-बहर-ए-नुक्‍तादानी है

Read Next