आरिफ़ाँ पर हमेशा रौशन है
आरिफ़ाँ पर हमेशा रौशन है कि फ़न-ए-आशिक़ी अजब फ़न है दुश्‍मन-ए-दीं का दीन दुश्‍मन है राहज़न का चिराग़ रौशन है क्‍यूँ न हो मज़हर-ए-'तजल्‍ली यार कि दिल-ए-साफ़ मिस्‍ल-ए-दर्पन है इश्‍क़ बाजाँ हैं तुझ गली में मुक़ीम बुलबुलाँ का मुक़ाम गुलशन है सफ़र-ए-इश्‍क़ क्‍यूँ न हो मुश्किल ग़म्‍ज़-ए-चश्‍म-ए-यार रहज़न है बार मत दे रक़ीब कूँ ऐ यार दोस्‍ताँ का रक़ीब दुश्‍मन है मुज कूँ रौशन दिलाँ ने दी है ख़बर कि सुख़न का चिराग रौशन है घेर रखता है दिल कूँ जामा-ए-तंग जग मिनीं दौर-दौर दामन है इश्‍क में शम्‍म: रू के जलता हूँ हाल मेरा सभों में रौशन है ऐ 'वली' साहिब-ए-सुख़न की ज़बाँ ब़जा-ए-मा'नी की शम्‍मे-रौशन है

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