आशिक़ के मुख पे नैन के पानी कूँ देख तूँ
आशिक़ के मुख पे नैन के पानी कूँ देख तूँ इस आरसी में राज़-ए-निहानी कूँ देख तूँ सुन बेक़रार दिल की अवल आह-ए-शो'ला ख़ेज़ तब इस हरफ़ में दिल की मुआफ़ी कूँ देख तूँ ख़ूबी सूँ तुझ हुज़ूर-ए-शम्‍अ दम ज़नी में है इस बेहया की चर्बज़बानी कूँ देख तूँ दरिया पे जाके मौज-ए-रवाँ पर नज़र न कर अँसुआँ की मेरे आके रवानी कूँ देख तूँ तुझ शौक़ का जो दाग़ 'वली' के जिगर में है बेताक़ती में उसकी निशानी कूँ देख तूँ

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