चलने मिनी ऐ चंचल हाती कूँ लजावे तूँ
चलने मिनी ऐ चंचल हाती कूँ लजावे तूँ बेताब करे जग कूँ जब नाज़ सूँ आवे तूँ यकबारगी हो ज़ाहिर बेताबिए-मुश्‍ताक़ाँ जिस वक्‍त़ कि ग़म्‍ज़े सूँ छाती कूँ छुपावे तूँ गोया कि शफ़क़ पीछे ख़ुर्शीद हुआ ज़ाहिर जब ओट में पर्दे के चेहरे कूँ छुपावे तूँ लूली-ए-फ़लक मुख में अंगुश्‍त-ए-तहय्यर ले जब पाँव नजाक़त सूँ मजलिस में नचावे तूँ उश्‍शाक़ की शादी की उस वक़्त बजे नौबत मिरदंग की जिस साइत आवाज़ सुनावे तूँ यकतान सुनाने में जी तान लिया सबने अब दिल सूँ बिकीं सारे गर भाव बतावे तूँ तौबा-ए-रियाई सूँ शायद कि करे तौबा इस वक़्त 'वली' कूँ गर भर जाम पिलावे तूँ

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