हुआ नहीं वो सनम साहिब-ए-इख़्तियार हनोज़
हुआ नहीं वो सनम साहिब-ए-इख़्तियार हनोज़ बजाय ख़ुद है रक़ीबाँ का ऐतबार हनोज़ परी रुख़ाँ की झलक का किया हूँ बसकि ख़याल बरंग-ए-बर्क़ मिरा दिल है बेक़रार हनोज़ हज़ार बुलबुल-ए-मिस्‍कीं का सैद है बाक़ी मुक़ीम है चमन-ए-इश्‍क़ में बहार हनोज़ बजा नहीं तुझे इनकार ख़ून-ए-आशिक़ सूँ गया नहीं है तिरे हाथ सूँ निगार हनोज़ अपस की चश्‍म की गर्दिश सूँ दे प्‍याला मुझे गया नहीं है मिरी चश्‍म सूँ ख़ुमार हनोज़ बजाय ख़ुद है ऐ रंगीं बहार गुल फित़रत तिरी पलक का मिरे दिल में ख़ार-ख़ार हनोज़ चले हैं आहू-ए-मुश्‍कीं ख़तन सूँ सुन के कि है निगाह-ए-शौख़सनम दर-पए-शिकार हनोज़ 'वली' जहाँ के गुलिस्‍ताँ में हर तरफ़ है खि़ज़ाँ वले बहाल है वो सर्व-ए-गुल इज़ार हनोज़

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