नाज़ मत कर तुझे अदा की क़सम
नाज़ मत कर तुझे अदा की क़सम बेतकल्‍लुफ़ हो मिल ख़ुदा की क़सम ज़ुल्‍फ़-ओ-रुख़ है तिरा जो लैल-ओ-नहार मुझकूँ वल्‍लैल-ओ-वलज़हा की क़सम सर्व क़द कूँ कुशीदा क़ामत-ए-यार रास्‍त बोल्‍या हूँ तुझ अदा की क़सम मुस्‍हफ़-ए-रुख़ तिरा है सूरत-ए-फ़ख़ मुझकूँ वन्‍नज्‍म इज़ा हवा की क़सम ज़ुल्‍म मत कर सजन 'वली' ऊपर तुझ कूँ है शाह-ए-कर्बला की क़सम

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