ऐ बाद-ए-सबा बाग़ में मोहन के
ऐ बाद-ए-सबा बाग़ में मोहन के गुज़र कर मुझ दाग़ की इस लालए-ख़ूनीं कूँ ख़बर कर क्‍या दर्द किसी कूँ कि कहे दर्द मिरा जा ऐ आह मिरे दर्द की तूँ जाके ख़बर कर सब तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल कूँ मिरे हक़ में रवा रख ऐ शोख़ मिरी आह सूँ अलबत्‍ता हज़र कर दूजा नहीं ता पी सूँ कहे दिल की हक़ीक़त ऐ दर्द तू जा जीव में उस पी के असर कर क्‍या ग़म है उसे तौर-ए-हवादिस सूँ जहाँ में बूझा जो कोई गर्दिश-ए-साग़र कूँ सपर कर कई बार लिखा उसकी तरफ़ नामे कूँ लेकिन हर बार सटा अश्‍क ने मुझ नामे कूँ तर कर हर वक़्न सट कुलहे-ए-तगाफ़ल कूँ अँखाँ में टुक मेहर सूँ इस तरफ़ ऐ बेमहर नज़र कर उस साहिब-ए-दानिश सूँ 'वली' है ये तअज्‍जुब यकबारगी क्‍यूँ मुझकों गया दिल से बिसर कर

Read Next