फि़दा-ए-दिलबर-ए-रंगीं अदा हूँ
फि़दा-ए-दिलबर-ए-रंगीं अदा हूँ शहीद-ए-शाहिद-ए-गुल गूँ क़बा हूँ हर इक मह रू के नहीं मिलने का ज़ौक़ सुख़न के आशाना का आशना हूँ किया हूँ तर्क नर्गिस का तमाशा तलबगार-ए-निगार-ए-बाहया हूँ न कर शमशाद की तारीफ़ मुझ पास कि मैं उस सर्वक़द का मुब्तिला हूँ किया मैं अर्ज़ उस ख़ुर्शीदरू सूँ तू शह-ए-हुस्‍न मैं तेरा गदा हूँ सदा रखता हूँ शौक़ उसके सुख़न का हमेशा तिश्‍ना-ए-आब-ए-बक़ा हूँ क़दम पर उसके रखता हूँ सदा सर 'वली' हममशरब-ए-रंग-ए-‍हिना हूँ

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