नाता-रिश्ता-3
यहीं, यहीं और अभी इस सधे सन्धि-क्षण में इस नए जन्मे, नए जागे, अपूर्व, अद्वितीय...अभागे मेरे पुण्यगीत को अपने अन्त:शून्य में ही तन्मय हो जाने दो-- यों अपने को पाने दो !

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