मग़ज़ उसका सुबास होता है
मग़ज़ उसका सुबास होता है गुलबदन के जो पास होता है आ शिताबी नईं तो जाता हूँ क्‍या करूँ जी उदास होता है क्‍यूँकि कपड़े रंगूँ मैं तुज ग़म में आशिक़ी में लिबास होता है? तुज जुदाई में नईं अकेला मैं दर्द-ओ-ग़म आस-पास होता है ऐ 'वली' दिलरुबा के मिलने कूँ जी में मेरे हुलास होता है

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