हाफ़िज़े का हुस्न दिखलाया है निस्यानी मुझे
हाफ़िज़े का हुस्‍न दिखलाया है निस्‍यानी मुझे है कलीद-ए-क़ुफ़्ल-ए-दानिश तर्ज़-ए-नादानी मुझे मौजज़न है दिल में मेरे हर रयन में पेचोताब जब सूँ तेरी ज़ुल्‍फ़ ने दी है परीशानी मुझे क्‍यूँ परीरूयाँ न आवें हुक्‍म में मेरे तमाम तुझ दहन की याद है मुहर-ए-सुलेमानी मुझे यक पलक दूजे पलक सूँ नईं हुई है आशना जब सूँ तेरे हुस्‍न ने बख़्शी है हैरानी मुझे ऐ 'वली' हक़ रफ़ाक़त के अदा करते भी क्‍या मुस्‍तहक़्क़-ए-मग़फि़रत आलूदा दामानी मुझे

Read Next