गिर्यां हैं अब्र-ए-चश्‍म मेरी अश्‍क बार देख
गिर्यां हैं अब्र-ए-चश्‍म मेरी अश्‍क बार देख है बर्क़ बेक़रार, मुझे बेक़रार देख फि़रदौस देखने की अगर आबरू है तुझ ऐ ज्‍यू पी के मुख के चमन की बहार देख हैरत का रंग लेके लिखे शक्‍ल-ए-बेख़ुदी तेरे अदा-ओ-नाज़ को मा'नी निगार देख वो दिल कि तुझ दतन के ख़यालाँ सूँ चाक था लाया हूँ तेरी नज्र बहा-ए-अनार देख ऐ शहसवार तू जो चला है रक़ीब पास सीने में आशिक़ाँ के उठा है ग़ुबार देख तेरी निगाह ख़ातिर-ए-नाज़ुक पे बार है ऐ बुलहवस न पी की तरफ़ बार-बार देख तुझ इश्‍क़ में हुआ है जिगर ख़ून-ओ-दाग़दार दिल में 'वली' के बैठ के ओ लाला ज़ार देख

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