रूह बख़्शी है काम तुझ लब का
रूह बख़्शी है काम तुझ लब का दम—ए—ईसा है नाम तुझ लब का हुस्न के ख़िज़्र ने किया लबरेज़ आब—ए—हैवाँ सूँ जाम तुझ लब का मन्तक़—ओ—हिकमत—ओ—मआनी पर मुश्तमल है कलाम तुझ लब का रग़—ए—याक़ूत के क़लम से लिखें ख़त परस्ताँ पयाम तुझ लब का सब्ज़ा—ओ—बर्ग—ओ—लाला रखते हैं शौक़ दिल में दवाम तुझ लब का ग़र्क़—ए—शक्कर हुए हैं काम—ओ—ज़बान जब लिया हूँ मैं नाम तुझ लब का है वली की ज़बाँ को लज़्ज़त बख़्श ज़िक्र हर सुब्ह—ओ—शाम तुझ लब का

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