दिल को लगती है
दिल को लगती है दिलरुबा की अदा जी में बसती है खुश-अदा की अदा गर्चे सब ख़ूबरू हैं ख़ूब वले क़त्ल करती है मीरज़ा की अदा हर्फ़-ए-बेजा बजा है गर बोलूँ दुश्मन-ए-होश है पिया की अदा नक़्श-ए-दीवार क्यूँ न हो आशिक़ हैरत-अफ़ज़ा है बेवफ़ा की अदा गुल हुये ग़र्क आब-ए-शबनम में देख उस साहिब-ए-हया की अदा ऐ "वली" दर्द-ए-सर की दारू है मुझको उस संदली क़बा की अदा

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