अनुभव-परिपक्व
माँ हम नहीं मानते-- अगली दीवाली पर मेले से हम वह गाने वाला टीन का लट्टू लेंगे हॊ लेंगे-- नहीं, हम नहीं जानते-- हम कुछ नहीं सुनेंगे। --कल गुड़ियों का मेला है, माँ। मुझे एक दो पैसे वाली काग़ज़ की फिरकी तो ले देना। अच्छा मैं लट्टू नहीं मांगता-- तुम बस दो पैसे दे देना। --अच्छा, माँ मुझे खाली मिट्टी दे दो-- मैं कुछ नहीं मांगूंगा : मेले जाने का हठ नहीं ठानूंगा। जो कहोगी मानूंगा।

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