मैं ने देखा : एक बूंद
मैं ने देखा एक बूंद सहसा उछली सागर के झाग से-- रंगी गई क्षण-भर ढलते सूरज की आग से। -- मुझ को दीख गया : सूने विराट के सम्मुख हर आलोक-छुआ अपनापन है उन्मोचन नश्वरता के दाग से।

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