आंगन के पार द्वार खुले
आंगन के पार द्वार खुले द्वार के पार आंगन भवन के ओर-छोर सभी मिले-- उन्हीं में कहीं खो गया भवन : कौन द्वारी कौन आगारी, न जाने, पर द्वार के प्रतिहारी को भीतर के देवता ने किया बार-बार पा-लागन।

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