सखी री ठाढ़े नंदकिसोर
सखी री ठाढ़े नंदकिसोर। वृंदाबन में मेहा बरसत, निसि बीती भयो भोर। नील बसन हरि-तन राजत हैं, पीत स्वामिनी मोर। ’हरीचंद’ बलि-बलि ब्रज-नारी, सब ब्रजजन-मनचोर॥

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