अजब जोबन है गुल पर आमदे फ़स्ले बहारी है।
शिताब आ साकिया गुलरू कि तेरी यादगारी है।
रिहा करता है सैयादे सितमगर मौसिमे गुल में।
असीराने कफ़स लो तुमसे अब रुख़सत हमारी है।
किसी पहलू नहीं आराम आता तेरे आशिक को।
दिले मुज़तर तड़पता है निहायत बेक़रारी है।
सफ़ाई देखते ही दिल फड़क जाता है बिस्मिल का।
अरे जल्लाद तेरे तेग़ की क्या आबदारी है।
दिला अब तो फ़िराक़े यार में यह हाल है अपना।
कि सर जानू पर है और ख़ून दह आँखों से जारी है।
इलाही ख़ैर कीजो कुछ अभी से दिल धड़कता है।
सुना है मंज़िले औवल की पहली रात भारी है।
'रसा' महवे फ़साहत दोस्त क्या दुश्मन भी हैं सारे।
ज़माने में तेरे तर्ज़े सख़ुन की यादगारी है।