रोकहिं जौं तो अमंगल होय
रोकहिं जौं तो अमंगल होय, औ प्रेम नसै जै कहैं पिय जाइए। जौं कहैं जाहु न तौ प्रभुता, जौ कछु न तौ सनेह नसाइए। जौं 'हरिचंद' कहै तुम्हरे बिन जीहै न, तौ यह क्यों पतिआईए। तासौं पयान समै तुम्हरे, हम का कहैं आपै हमें समझाइए।

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