तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है
तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है सीना किस का है मिरी जान जिगर किस का है ख़ौफ़-ए-मीज़ान-ए-क़यामत नहीं मुझ को ऐ दोस्त तू अगर है मिरे पल्ले में तो डर किस का है कोई आता है अदम से तो कोई जाता है सख़्त दोनों में ख़ुदा जाने सफ़र किस का है छुप रहा है क़फ़स-ए-तन में जो हर ताइर-ए-दिल आँख खोले हुए शाहीन-ए-नज़र किस का है नाम-ए-शाइर न सही शेर का मज़मून हो ख़ूब फल से मतलब हमें क्या काम शजर किस का है सैद करने से जो है ताइर-ए-दिल के मुनकिर ऐ कमाँ-दार तेरे तीर में पर किस का है मेरी हैरत का शब-ए-वस्ल ये बाइस है 'अमीर' सर ब-ज़ानू हूँ कि ज़ानू पे ये सर किस का है

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