इन दुखियन को न चैन सपनेहुं मिल्यौ
इन दुखियन को न चैन सपनेहुं मिल्यौ, तासों सदा व्याकुल बिकट अकुलायँगी। प्यारे 'हरिचंद जूं' की बीती जानि औध, प्रान चाहते चले पै ये तो संग ना समायँगी। देख्यो एक बारहू न नैन भरि तोहिं यातैं, तौन जौन लोक जैहैं तहाँ पछतायँगी। बिना प्रान प्यारे भए दरस तुम्हारे, हाय! मरेहू पै आंखे ये खुली ही रहि जायँगी।

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