वस्ल में ख़ाली हुई ग़ैर से महफ़िल तो क्या
वस्ल में ख़ाली हुई ग़ैर से महफ़िल तो क्या शर्म भी जाए तो मैं जानूँ कि तन्हाई हुई

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