शौक़ कहता है पहुँच जाऊँ मैं अब काबे में जल्द
शौक़ कहता है पहुँच जाऊँ मैं अब काबे में जल्द राह में बुत-ख़ाना पड़ता है इलाही क्या करूँ

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