अंग्रेज स्तोत्र
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम। स्टारार्थी लभते स्टारम् मोक्षार्थी लभते गतिं॥ एक कालं द्विकालं च त्रिकालं नित्यमुत्पठेत। भव पाश विनिर्मुक्त: अंग्रेज लोकं संगच्छति॥

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