पुतलियाँ तक भी तो फिर जाती हैं देखो दम-ए-नज़अ
पुतलियाँ तक भी तो फिर जाती हैं देखो दम-ए-नज़अ वक़्त पड़ता है तो सब आँख चुरा जाते हैं

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