ख़ून-ए-नाहक़ कहीं छुपता है छुपाए से 'अमीर'
ख़ून-ए-नाहक़ कहीं छुपता है छुपाए से 'अमीर' क्यूँ मिरी लाश पे बैठे हैं वो दामन डाले

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