हो गया बंद दर-ए-मै-कदा क्या क़हर हुआ
हो गया बंद दर-ए-मै-कदा क्या क़हर हुआ शौक़-ए-पा-बोस-ए-हसीनाँ जो तुझे था ऐ दिल

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