फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा
फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा कभी तकिया इधर रक्खा कभी तकिया उधर रक्खा

Read Next