बैठे हैं दो टीले
तनिक देर और आसपास रहें चुप रहें, उदास रहें, जाने फिर कैसी हो जाए यह शाम। एक-एक कर पीले पत्तों का टूटते चले जाना, इतने चुपचाप, और तुम्हारा पलकें झपकाकर प्रश्नों को लौटा लेना अपने आप। दूर-दूर सड़क के किनारे पर सूखे पत्तो के धुँधुआते से ढेर, एक तरफ बैठे हैं दो टीले गुमसुम-से पीठ फेर-फेर, डूब रहा सभी कुछ अँधेरे में चुप्पी के घेरे में पेड़ों पर चिड़ियों ने डाला कुहराम।

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