जगत में घर की फूट बुरी
जगत में घर की फूट बुरी। घर की फूटहिं सो बिनसाई, सुवरन लंकपुरी। फूटहिं सो सब कौरव नासे, भारत युद्ध भयो। जाको घाटो या भारत मैं, अबलौं नाहिं पुज्यो। फूटहिं सो नवनंद बिनासे, गयो मगध को राज। चंद्रगुप्त को नासन चाह्यौ, आपु नसे सहसाज। जो जग में धनमान और बल, अपुनो राखन होय। तो अपने घर में भूलेहु, फूट करो मति कोय॥

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