धूप
सर्दियों की सुबह, उठ कर देखता हूँ धूप गोया शहर के सारे घरों को जोड़ देती है ग़ौर से देखें अगरचे धूप ऊँचे घरों के साये तले उत्तर दिशा में बसे कुछ छोटे घरों को छोड़ देती है । पूछ ले कोई कि किनकी छतों पर भोजन पकाती गर्म करती लान, औ ‘बिजली जलाती धूप आखिऱ नदी नालों के किनारे बसे इतने ग़रीबों से क्यों भला मुँह मोड़ लेती है.

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