ख़्वाब की हालातों के साथ तेरी हिकायतों में हैं
ख़्वाब की हालतों के साथ तेरी हिकायतों में हैं हम भी दयार-ए-अहल-ए-दिल तेरी रिवायतों में हैं वो जो थे रिश्ता-हा-ए-जाँ टूट सके भला कहाँ जान वो रिश्ता-हा-ए-जाँ अब भी शिकायतों में हैं एक ग़ुबार है कि है दाएरा-वार पुर-फ़िशाँ क़ाफ़िला-हा-ए-कहकशाँ तंग हैं वहशतों में हैं वक़्त की दरमियानियाँ कर गईं जाँ-कनी को जाँ वो जो अदावतें कि थीं आज मोहब्बतों में हैं परतव-ए-रंग है कि है दीद में जाँ-नशीन-ए-रंग रंग कहाँ हैं रू-नुमा रंग तो निकहतों में हैं है ये वजूद की नुमूद अपनी नफ़स नफ़स गुरेज़ वक़्त की सारी बस्तियाँ अपनी हज़ीमतों में हैं गर्द का सारा ख़ानमाँ है सर-ए-दश्त-ए-बे-अमाँ शहर हैं वो जो हर तरह गर्द की ख़िदमतों में हैं वो दिल ओ जान सूरतें जैसे कभी न थीं कहीं हम उन्हीं सूरतों के हैं हम उन्हीं सूरतों में हैं मैं न सुनूँगा माजरा मारका-हा-ए-शौक़ का ख़ून गए हैं राएगाँ रंग नदामतों में हैं

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