नक़्शे-ख्याल दिल से
नक़्श-ए-ख़याल दिल से मिटाया नहीं हनोज़ बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़ वो सर जो तेरी राहगुज़र में था सज्दा-रेज़ मैं ने किसी क़दम पे झुकाया नहीं हनोज़ महराब-ए-जाँ में तूने जलाया था ख़ुद जिसे सीने का वो चिराग़ बुझाया नहीं हनोज़ बेहोश हो के जल्द तुझे होश आ गया मैं बदनसीब होश में आया नहीं हनोज़ मर कर भी आयेगी ये सदा क़ब्र-ए-"जोश" से बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़

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