रेफ़्रेनडम
शहर में हू का आलम था जिन था या रेफ़्रेनडम था क़ैद थे दीवारों में लोग बाहर शोर बहुत कम था कुछ बा-रीश से चेहरे थे और ईमान का मातम था मर्हूमीन शरीक हुए सच्चाई का चहलम था दिन उन्नीस दिसम्बर का बे-मअ'नी बे-हँगम था या वादा था हाकिम का या अख़बारी कॉलम था

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