ख़ुदा हमारा है
ख़ुदा तुम्हारा नहीं है ख़ुदा हमारा है उसे ज़मीन पे ये ज़ुल्म कब गवारा है लहू पियोगे कहाँ तक हमारा धनवानो बढ़ाओ अपनी दुकाँ सीम-ओ-ज़र के दीवानो निशाँ कहीं न रहेगा तुम्हारा शैतानो हमें यक़ीं है कि इंसान उस को प्यारा है ख़ुदा तुम्हारा नहीं है ख़ुदा हमारा है उसे ज़मीन पे ये ज़ुल्म कब गवारा है नए शुऊर की है रौशनी निगाहों में इक आग सी भी है अब अपनी सर्द आहों में खिलेंगे फूल नज़र के सहर की बाँहों में दुखे दिलों को इसी आस का सहारा है ख़ुदा तुम्हारा नहीं है ख़ुदा हमारा है उसे ज़मीन पे ये ज़ुल्म कब गवारा है तिलिस्म-ए-साया-ए-ख़ौफ़-ओ-हरास तोड़ेंगे क़दम बढ़ाएँगे ज़ंजीर-ए-यास तोड़ेंगे कभी किसी के न हम दिल की आस तोड़ेंगे रहेगा याद जो अहद-ए-सितम गुज़ारा है उसे ज़मीन पे ये ज़ुल्म कब गवारा है

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