ऐ जहाँ देख ले!
ऐ जहाँ देख ले कब से बे-घर हैं हम अब निकल आए हैं ले के अपना अलम ये महल्लात ये ऊँचे ऊँचे मकाँ इन की बुनियाद में है हमारा लहू कल जो मेहमान थे घर के मालिक बने शाह भी है अदू शैख़ भी है अदू कब तलक हम सहें ग़ासिबों के सितम ऐ जहाँ देख ले कब से बे-घर हैं हम अब निकल आए हैं ले के अपना अलम इतना सादा न बन तुझ को मालूम है कौन घेरे हुए है फ़िलिस्तीन को आज खुल के ये नारा लगा ऐ जहाँ क़ातिलो रह-ज़नो ये ज़मीं छोड़ दो हम को लड़ना है जब तक कि दम में है दम ऐ जहाँ देख ले कब से बे-घर हैं हम अब निकल आए हैं ले के अपना अलम

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