निराला रंग
बनें बनायें किन्तु बिगड़ती बात बनावें। हँसें हँसावें किन्तु हँसी अपनी न करावें। बहक बहँकते रहें पर न रुचि को बहँकावें। खुल खेलें, पर खेल खोल आँखों को पावें। भर जायँ उमंगों में मगर बेढंगी न उमंग हो। रँगतें रहें सब रंग की मगर निराला रंग हो।

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