ये क़ाफ़िले यादों के कहीं खो गए होते
ये क़ाफ़िले यादों के कहीं खो गए होते इक पल भी अगर भूल से हम सो गए होते ऐ शहर तिरा नाम-ओ-निशाँ भी नहीं होता जो हादसे होने थे अगर हो गए होते हर बार पलटते हुए घर को यही सोचा ऐ काश किसी लम्बे सफ़र को गए होते हम ख़ुश हैं हमें धूप विरासत में मिली है अज्दाद कहीं पेड़ भी कुछ बो गए होते किस मुँह से कहें तुझ से समुंदर के हैं हक़दार सैराब सराबों से भी हम हो गए होते

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